रोना की पहली लहर ने ज्यादातर बुजुर्गों को अपनी चपेट में लिया वहीं दूसरी ओर यह लहर इतनी भयावह होगी इसका अंदाजा किसी को नहीं थी। दूसरी लहर ने ज्यादातर युवाओं को अपनी चपेट में लिया। लाखों लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ी।
अब दूसरी लहर की समाप्ति के बाद भारत में तीसरी लहर का खतरा भी मंडरा रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डिविजन ऑफ एपिडेमियोलाजी एंड कम्युनिकेबल डिजीज के प्रमुख डा. समरीन पांडा ने भी यह आशंका जाहिर की है कि अगस्त के अंत तक कोरोना वायरस की तीसरी लहर भी आ जाएगी।
विशेषज्ञों के मुताबिक, तीसरी लहर में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा हो सकता है। सरकार भी अब तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण पर जोर दे रही है।
कुपोषित बच्चों को रखना होगा ध्यान
तीसरी लहर के कहर को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट मोड में है। ऐसे में कुपोषित बच्चों पर खास ध्यान दिया जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक कुपोषित बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसलिए ऐसे बच्चों में कोरोना के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। कुपोषित तथा अतिकुपोषित बच्चों को निमोनिया जल्द होता है।
कुपोषित बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। छह माह तक के बच्चों को सिर्फ मां का ही दूध देना सर्वश्रेष्ठ है। बाहरी खुराक लेने वाले बच्चों को ज्यादातर अंकुरित चने, दूध, दही, रोटी तथा फल उसकी आयु वर्ग की कैलोरी के हिसाब से देना चाहिए।
हालांकि तीसरी लहर एवं उसका बच्चों पर पड़ने वाले असर को लेकर परस्पर विरोधी विचार भी सामने आए हैं। एक ओर जहाँ अनुमान के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक शाबित होने की बात कही जा रही है वहीं दूसरी ओर एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया का राहत भरा बयान भी आया है। डा. गुलेरिया के अनुसार, तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने के संकेत नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में मात्र 45 दिनों में 18 साल तक के तीन हजार बच्चों में कोरोना फेलने की खबर है। हालांकि उसमें से काफी कम बच्चों को अस्पताल तक जाने की नौबत आई। वहीं माहराष्ट्र में 99,006 बच्चों के कोरोना संक्रमण की खबर आई है जो काफी चिंताजनक है। अब इस तरह के अतिवादी सोच हमें कहीं तीसरी लहर के प्रति लापरवाह ना बना दे।
किसी बच्चे को अधिक समय तक तेज बुखार, आंख में लाली, हाथ-पैर में सूजन तथा शरीर पर चकते अथवा लाल दानें दिखें तो उसे हल्के में न लें, बल्कि तत्काल चिकित्सकों की सलाह लें।
अगर कोई छोटा बच्चा जिसे मां का दूध ही पीलाया जा रहा है कोराना संक्रमित हो जाता है तो उसकी मां उसकी देखभाल के लिए उसके साथ रह सकती है, लेकिन उसे सभी तरह की सावधानियां बरतने के बाद ही ऐसा करना चाहिए।
कोराना संक्रमित बच्चों का कैसे रखें ध्यान
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अगर आपका बच्चा कोरोना संक्रमित हो गया हो तो उसे परिवार के बाकी लोगों से अलग रखें परन्तु उसे ऐसा भी नहीं महसूस न हो कि वो बिल्कुल अकेला पड़ गया है। परिवार के सदस्यों की जिम्मेदारी होगी को वो उससे निरंतर फोन या विडियो कॉल के माध्यम से संपर्क में रहें और उसे मोटिवेट करते रहें।
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अगर मां और बच्चा, दोनों कोरोना संक्रमित हैं तो बच्चा अपनी मां के साथ रह सकता है, वहीं अगर मां कोरोना संक्रमित है और बच्चा निगेटिव है और बच्चे की देखभाल करने वाला घर में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है तो वैसे में मां मास्क पहन कर बच्चे की देखभाल कर सकती है।
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बच्चों को उनके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाये रखने के लिए उन्हें पौष्टिक खाना और हाइड्रेशन बनाए रखना काफी जरूरी है।
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