नई दिल्ली । एचई टाईम्स। राजेश सिन्हा
पिछले कई वर्षों में, योगासन एवं योग चिकित्सा ने चिकित्सा पेशेवरों और मशहूर हस्तियों के साथ साथ पश्चिमी दुनिया में भी काफी लोकप्रियता हासिल की है। इन दिनों भारत में जारी कोरोना की दूसरी लहर लगभग हर किसी के लिए तनाव का कारण बनी हुई है। आज हम आपसे कुछ ऐसे महत्वपूर्ण एंव सरल योगासन पद्धति के विषय पर चर्चा करेगें जो न सिर्फ आपकी तनाव को कम करेगा बल्कि कोरोना के इस संकट की घड़ी में आपकी इम्युनिटी को भी बढ़ाने का काम करेगा।
अधोमुखश्वानासन : यह संस्कृत के शब्द अध से लिया गया है जिसका अर्थ है नीचे तथा मुख का अर्थ है चेहरा और श्वान का अर्थ है कुत्ता, आसन का अर्थ है मुद्रा। यह आसन एक कुत्ते के समान दिखता है जब वह आगे की ओर झुकता है। इस आसन के कई अद्भुत लाभ हैं। यह पीठ को स्ट्रेच करता है। इससे मस्तिष्क में बल्ड सर्कुलेशन बढ़ता है।
शशांकासन : इस आसन को करते समय व्यक्ति की मुद्रा शशांक अर्थात् खरगोश के बैठने के समान हो जाती है, अतः इस आसन को शशांकासन कहते हैं। इस असान से थकान और तनाव से छुटकारा मिलता है। गर्दन और पीठ दर्द में भी काफी आराम मिलता है।
सेतुबंधासन : इस आसन में शरीर सेतु यानि ब्रिज की आकार में हो जाता है, इसलिए इसे सेतुबंधासन कहा जाता है। इस आसन के माध्यम से पीठ की मांसपेशियां मजबूत बनती है तथा यह पीठ, गर्दन तथा छाती में अच्छा खिंचाव पैदा करता है। यह आसन अवसाद व तनाव को कम करता है तथा साथ ही साथ थकावट से तुरंत छुटकारा दिलाता है।
पादहस्तासन : पादहस्तासन को अंग्रेजी में Intense Forward Bending Pose भी कहते हैं। यह आसन पूरे शरीर को अच्छी स्ट्रेच देता है और दिमाग में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने में काफी मदद करता है। पादहस्तासन संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है, पैरों को हाथों से छूने वाला आसन। यह आसन न सिर्फ आपके शरीर को हील करता है बल्कि यह आपको नई जिन्दगी भी प्रदान करता है।
शवासन : शव एवं संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- मृत शरीर। इस आसन को यह नाम इसलिए मिला है क्योंकि इसमें एक मृत शरीर के समान आकार लिया जाता है। शवासन विश्राम करने के लिए है और अधिकांश पूरे योगासन क्रम के पश्चात् किया जाता है। पूरा योग का क्रम क्रियाशीलता के साथ आरंभ होता है और विश्राम में समाप्त होता है। इस आसन से आपका ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। इस अवस्था में दो से तीन मिनट तक रहना चाहिए।