न के वुहान शहर में पहली बार कोविड 19 का पता चलने के डेढ़ साल के बाद भी यह सवाल रहस्य बना हुआ है कि आखिर पहली बार इसका वायरस कहां और कैसे सामने आया-
ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगस डल्गलिश तथा नार्वे के वैज्ञानिक डा. बिर्गर सोरेनसेन के कोरोना वायरस की उत्त्पति पर किए जा रहे हालिया शोध से अब धीरे धीर इस बात की पुष्टि होने लगी है कि चीन के वुहान में स्थित प्रयोगशाला वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में ही इसे तैयार किया गया था और वहीं से यह सबसे पहले प्रकृति में आया और आज पूरे विश्व के लिए सबसे बड़े संकट के रूप में खड़ा है.
वुहान में ही पहली बार इस वायरस का पता चला था. लीक थ्योरी के समर्थकों के मुताबिक चीन में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के नाम से एक बड़ा जैविक अनुसंधान केंद्र है. इस संस्था में चमगादड़ में कोरोना वायरस की मौजूदगी पर दशकों से शोध चल रहा है. वुहान की यह प्रयोगशाला हुआनन श्वेटश् मार्कट (पशु बाजार से बस चंद किलोमीटर दूर पर स्थित है. इसी वेट मार्केट में पहली बार संक्रमण का पहला कलस्टर सामने आया था.
संबंधित विषय पर शोधकर्ता डल्गलिश और सोरेनसेन अपने अध्ययन में यह दावा किया हैं कि एक साल से चीन में कोरोना वायरस पर रेट्रो-इंजीनियरिंग के सुबूत हैं, लेकिन इसे किसी प्रतिष्ठि मीडिया ने उतना महत्व नहीं दिया। इस अध्ययन में आरोप लगाया गया है कि चीन की लैब में जानबूझकर डाटा को नष्ट किया गया, उसे छिपाया गया और उसके साथ छेड़छाड़ की गई।
हालांकि कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर विवाद अब काफी तूल पकड़ने लगा है. गुरुवार को अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से कोरोना वायरस की उत्पत्ति की दूसरे चरण की जाँच आगे बढ़ाने को कहा था.
अमेरिका ने ये भी कहा है कि चीन में स्वतंत्र विशेषज्ञों को वास्तविक डेटा और नमूनों तक पहुँच मिलनी चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफिया एंजेंसियों से कहा है कि अपनी कोशिशों को तेज करें और 90 दिनों के अंदर ऐसी जानकारी जुटाएं, जिसके आधार पर किसी ठोस नतीजे के करीब पहुँचा जा सके।
हालांकि चीन शुरू से ही ऐसे दावों को गलत बताता रहा है कि यह वायरस उसकी किसी प्रयोगशाला से लीक होकर आम लोगों के बीच फैला है. चीन ने पहली बार 31 दिसंबर, 2019 को विश्व स्वास्थ्य संगठन को जानकारी दी थी कि वुहान में निमोनिया के केस अचानक बढ़ गए हैं.
भारत ने भी इस मामले में अपनी राय रखी है। शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के हवाले से एक बयान जारी कर कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोविड-19 की उत्पति से जुड़ी जाँच का अध्ययन एक अहम कदम है. इस मामले में अगले चरण की जाँच की जरूरत है ताकि किसी निष्कर्ष पर पहुँचा जा सके. इस जाँच और अध्ययन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को सभी से मदद मिलनी चाहिए.