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ब्लैक, वाइट एवं येलो फंगस का खतरा किन लोगों को है सबसे ज्यादा! - HE Times
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ब्लैक, वाइट एवं येलो फंगस का खतरा किन लोगों को है सबसे ज्यादा!

by HE Times

कोरोना से ठीक होने के बाद आजकल लोग म्यूकोरमाइकोसिस के चपेट में आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि म्यूकोरमाइकोसिस प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित कर रहा है लेकिन जो व्यक्ति इसके चपेट में आ रहे हैं उनके लिए यह काफी खतरनाक एवं जानलेवा साबित हो रहा है। यह बीमारी उन लोगों के लिए और भी गंभीर एवं जानलेवा हो सकता है जो पहले से किसी बड़ी बीमारियों से ग्रस्त हैं।

नई दिल्ली, एचई टाईम्स डेस्क: कोरोना वायरस की दूसरी लहर में एक और चिंता बढ़ाने वाली बात सामने आ रही है। कोरोना की वजह से लोग म्यूकोरमाइकोसिस की चपेट में आ रहे हैं। गुजरात, राजस्थान, बिहार एवं दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में यह तेजी से अपना पांव पसारते जा रहा है। भारत के कई राज्यों ने म्यूकोरमाइकोसिस यानि ब्लैक फंगस को एपीडेमिक घोषित कर दिया है। हालांकि, यह कोई असामान्य अथवा नई बीमारी नहीं है, लेकिन कोविड-19 महामारी के समय दूसरे संक्रमण का तेजी से फैलना, उच्च मृत्यु दर और एंटीफंगल दवाइयों का उपलब्ध न होना, लोगों के बीच काफी डर पैदा कर दिया है।

ऐसा नहीं है कि म्यूकोरमाइकोसिस प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित कर रहा है लेकिन जो व्यक्ति इसके चपेट में आ रहे हैं उनके लिए यह काफी खतरनाक एवं जानलेवा साबित हो रहा है। यह बीमारी उन लोगों के लिए और भी गंभीर एवं जानलेवा हो सकता है जो पहले से किसी बड़ी बीमारियों से ग्रस्त हैं। आइए जानते हैं कि ब्लैक फंगस से किन किन लोगों को ज्यादा खतरा है।

मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति: आज के परिदृश्य में वैसे व्यक्ति जो कि मधुमेह रोग से ग्रसित हैं और जिनका शुगर लेवल अनियंत्रित रहता है उन्हें किसी भी तरह के फंगल संक्रमण की चपेट में आने की संभावना ज्यादा होती है। अनियंत्रित मधुमेह शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को कम कर देता है एवं शरीर के अंदर गंभीर रूप से सूजन को बढ़ाता है। शरीर में अत्याधिक ग्लूकोज की मात्रा, ब्लैक फंगस को हमारे शरीर में आसानी से प्रवेश एवं उसे पनपने में सुविधा प्रदान करता है।

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: चिकित्सकों का मानना है कि म्यूकोरमाइकोसिस आम तौर पर उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाता है, जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। दिल्ली की वरिष्ठ चिकित्सक डा. रिशु कुमारी के अनुसार, कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है, इसलिए वह आसानी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज है, उनका शुगर लेबल बढ़ जाने पर उनमें म्यूकोरमाइकोसिस खतरनाक रूप ले सकता है। यह संक्रमण सांस द्वारा नाक के जरिये व्यक्ति के अंदर प्रवेश करता है, जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उनको यह बूरी तरह जकड़ लेता है। इसलिए ऐसे सभी लोग जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, या अक्सर बीमार पड़ जाते हैं, उन्हें ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।

किडनी से जुड़ी बीमारी से ग्रसित लोग: गुर्दे की क्षति और विफलता आपकी प्रतिरक्षा के लिए काफी खराब हो सकती है क्योंकि यह आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को काफी कमजोर कर सकती है। चिकित्सकों का मानना है कि म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण के ज्यादा तर मामले उन मरीजों में देखे जा रहे हैं जो कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं लेकिन उनमें डायबिटीज, किडनी, हार्ट फेल्योर या कैंसर की बीमारी है।

एचआईवी/एड्स से पीड़ित व्यक्ति: कोरोना संक्रमित व ऐसी अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को ब्लैक फंगस व अन्य संक्रमणों का खतरा अधिक है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। इनमें एचआईवी/एड्स के रोगी भी शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एड्स रोगियों को ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए एचआइवी संक्रमितों या एड्स रोगियों को भी सावधानी बरतनी चाहिए।

म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण के लक्षण: ब्रेन म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण में चेहरे के एक तरफ सूजन, सिर दर्द, साइनस की परेशानी, नाक के उपरी हिस्से पर काले घाव जो जल्द ही गंभीर रूप घारण कर लेते हैं। म्यूकोरमाइकोसिस में सीने में दर्द और सांस लेने में भी दिक्कत होती है एवं शरीर पर फुंसी  तथा छाले पड़ सकते हैं। कुछ मरीजों को आंखों में दर्द, धुंधला दिखाई देना, पेट दर्द, उल्टी या मिचली भी महसूस होती है।

बचाव के लिए क्या करें: किसी भी निर्माणाधीन इलाके में जाने से बचें और अगर उसके आस पास जाना हो तो मास्क का प्रयोग करें। अपने डायबिटीज के स्तर की नियमित जांच करते रहें एवं उसे नियंत्रित रखने के लिए जो भी दवा एवं डाक्टर की सलाह लेते रहें। किसी पार्क या बागीचे में जाना पड़े तो फूल बांह का शर्ट, पैंट एवं ग्लब्स अवश्य पहनें।

डिस्क्लेमर : लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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