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राजेश सिन्हा / एचई टाइम्स
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के Ridge क्षेत्र को ‘दिल्ली के फेफड़े’ कहती है और इसके संरक्षण को अत्यधिक महत्व देती है। यह क्षेत्र न केवल दिल्लीवासियों के लिए स्वच्छ हवा का स्रोत है बल्कि जैव विविधता के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाता है।
सुप्रीम कोर्ट की इजाज़त के बिना एक भी पेड़ काटने की अनुमति नहीं है, जो इस क्षेत्र की अहमियत को दर्शाता है। हाल ही में, LG के अधीन DDA द्वारा बिना इजाज़त के 1100 पेड़ काटे जाने का मामला सामने आया। इस घटना ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने DDA के VC से पूछा कि किसके कहने पर ये पेड़ काटे गए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका इस मामले को गंभीरता से ले रही है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के एल जी ने 3 फ़रवरी को इस क्षेत्र का दौरा किया था और पहले भी कई बार वहाँ गये थे। यह दौरा पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देने के लिए किया गया था।
पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदम
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पुनर्वनीकरण कार्यक्रम : काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए बड़े पैमाने पर पुनर्वनीकरण कार्यक्रम चलाना आवश्यक है। इसके तहत विभिन्न प्रजातियों के पेड़ लगाए जाने चाहिए जो पर्यावरण के अनुकूल हों।
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कानूनी प्रावधानों का पालन : सभी विकास परियोजनाओं में पर्यावरणीय कानूनी प्रावधानों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना चाहिए। इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर नियमों का पालन करना आवश्यक है।
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सामुदायिक सहभागिता : पर्यावरण संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों को जागरूक करना और उनकी सहभागिता सुनिश्चित करना चाहिए। समुदाय की भागीदारी से वृक्षारोपण और पर्यावरणीय संरक्षण के प्रयासों में वृद्धि होगी।
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जवाबदेही और पारदर्शिता : संबंधित अधिकारियों और संस्थानों को जवाबदेह ठहराना चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियमित रिपोर्टिंग और निगरानी प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।
आँकड़े और तथ्यों के आधार पर
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दिल्ली के Ridge क्षेत्र में 1100 पेड़ काटे जाने से हर साल लगभग 22 लाख किलो कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण कम हो जाएगा।
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एक वयस्क पेड़ हर साल लगभग 21.6 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करता है, जो वायु गुणवत्ता सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
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पुनर्वनीकरण के प्रयासों के तहत, हर 10 साल में लगाए गए पेड़ों का औसतन 75% जीवित रहता है और पर्यावरण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।