रिजात एक पुष्पीय पौधा है। इसे हरसिंगार, शेफाली आदि नामों से भी जाना जाता है। इसके फूल पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प भी है। वास्तु के दृष्टिकोण से भी पारिजात के पुष्प् को काफी शुभ माना जाता है।
इसका वृक्ष 10 से 30 फीट तक उॅंचा होता है। यह पूरे भारतवर्ष में पाया जाता है परन्तु मध्यभारत और हिमालय की नीची तराइयों में इसकी संख्या ज्यादा होती है। इसका फूल सुगंधित, सफेद तथा काफी सुंदर होता है। इसके फूल रात में ही खिलते हैं और सुबह मुरझा कर जमीन पर गिर जाते हैं।
पारिजात पौधे के औषधीय गुण : पारिजात के फूल में कई तरह के औषधीय गुण पाये जाते हैं, जैसे यह आपके पाचन संबंधी विकारों को दूर करता है तथा साथ ही साथ इसका इस्तेमाल आँखों की समस्या में भी किया जाता है।
खांसी के लिए आयुर्वेदिक दवा के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। 500 मिग्रा पारिजात की छाल का चूर्ण बनाकर इसका सेवन करने से खांसी ठीक होती है।
- इस पौधे की जड़ को मुंह में रखकर चबाने से नाक, कान, कंठ आदि से निकलने वाला खून बंद हो जाता है।
- पारिजात के ताजे पत्ते के रस को चीनी के साथ सेवन करने से आंतों में उपस्थित हानिकारक कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- अगर आपको बार-बार पेशाब करने की समस्या है, तो इस समस्या से निजात दिलाने में यह पौधा बेहद असरदार है। पारिजात के पेड़ के तने के पत्ते, जड़ और फूल का काढ़ा बनाएं। इसे 10-30 मिग्रा मात्रा में सेवन करें। इससे बार-बार पेशाब करने की परेशानी खत्म हो जाएगी।
- अगर आपको हमेशा फोड़े एवं फुन्सी आने की समस्या है तो आप पारिजात के बीज का पेस्ट बनाकर अपने घाव पर अच्छी तरह से लगाएगें तो आपके घाव ठीक हो जाएगा।
- जोड़ों के दर्द में पारिजात के पत्ते काफी असरदार साबित होते हैं। इसके 6 से 7 पत्ते तोड़कर इन्हें पीस लें। पीसने के बाद इस पेस्ट को पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी न हो जाए। अब इसे ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खाली पेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से जोड़ों से संबंधित अन्य समस्याएं भी समाप्त हो जाएगी।
- साइटिका की बीमारी को भी पारिजात के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है। दो कप पानी में पारिजात के लगभग 8 से 10 पत्तों को धीमी आंच पर उबालें और आधा रह जाने पर इसे उतार लें। ठंडा हो जाने पर इसे सुबह शाम खाली पेट पिएं। एक सप्ताह में आप फर्क महसूस करेंगे।
- बवासीर के इलाज में भी पारिजात का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए पारिजात के बीज का सेवन या फिर उनका लेप बनाकर संबंधित स्थान पर लगाना फायदेमंद है।
- हृदय रोगों के लिए भी पारिजात का प्रयोग बेहद लाभकारी है। इसके 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करना हृदय रोग से बचाने में कारगर है।
पारिजात के वास्तु गुण : आयुर्वेद में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि एक ओर जहाँ पारिजात में अनेकों आयुर्वेदिक गुण मौजूद हैं वहीं दूसरी ओर इसके पौधे को घर में या उसके आस पास लगाने से आस पास की सभी निगेटिव इनर्जी खत्म हो जाती है। वास्तु के हिसाब से इसे काफी शुभ माना गया है।
- कहते हैं जहाँ पर भी पारिजात के पेड़ होते हैं वहां पर साक्षात लक्ष्मी का वास होता है। इसके फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन केवल उन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है, जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं।
- शास्त्रों में तो पारिजात को कल्पवृक्ष भी कहा गया है। ऐसी धारणा है कि स्वर्गलोक में इसको स्पर्श करने का अधिकार सिर्फ उर्वशी नाम की अप्सरा को था।
- वास्तु शास्त्र में माना गया है कि पारिजात का पौधा जहां होता है, वहां नकारात्क शक्तयिों का वास नहीं होता।
- इस पौधे को घर में लगाने से कभी दरिद्रता नहीं आती। इसके फूल घर सुगंधित करने के साथ-साथ धन लाभ का कारण भी बनते है। इसलिए अपने होम गार्डन में हरसिंगार या पारिजात वृक्ष जरूर लगाएं।
- पारिजात के फूलों की सुगंध आपके जीवन से तनाव हटाकर खुशियां ही खुशियां देती है। इसकी सुगंध आपके मस्तिष्क को शांत कर देती है। घर परिवार में खुशी का माहौल बना रहता है और व्यक्ति लंबी आयु प्राप्त करता है।
पारिजात के पौधे की धार्मिक महत्ता: औषधीय तथा वास्तु के अतिरिक्त धार्मिक दृष्टिकोण से भी इस पौधे को काफी महत्वपूर्ण माना गया है।
- भगवान श्री हरि के श्रृंगार और पूजा के लिए पारिजात के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से इन मनमोहक फूलों को हरसिंगार भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में पारिजात वृक्ष को खास स्थान दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इसके स्पर्श से ही व्यक्ति की थकान छूमंतर हो जाती है।
- पूजा-पाठ के लिए पारिजात के पेड़ से फूल तोड़ना पूरी तरह से निषिद्ध है। पूजा पाठ के लिए पारिजात के उन फूलों का प्रयोग किया जाता है जो पेड़ से टूटकर गिर चुके हों।
- माता सीता को पारिजात का पुष्प काफी पसंद था। ऐसा माना जाता है कि 14 वर्षों के वनवास के दौरान माता सीता हरसिंगार के फूलों से ही अपना श्रृंगार किया करती थीं। ऐसा भी कहा जाता है कि लक्ष्मी माता को पारिजात के फूल बेहद प्रिय हैं और उनकी पूजा के दौरान ये फूल चढ़ाने से वो प्रसन्न होती हैं।
- उत्तर प्रदेश राज्य के बाराबंकी जिले के बोरोलिया गाँव में एक पारिजात का वृक्ष हैं जो द्वापर युग के समय महाभारत काल का माना जाता हैं। चूँकि पारिजात वृक्ष की आयु एक हजार से लेकर पांच हजार वर्ष तक होती हैं इसलिये ऐसा होना संभव हैं।
यह वृक्ष 45 फीट ऊँचा हैं जिसकी लंबी-लंबी शाखाएं हैं। वर्ष में केवल एक बार जून माह के आसपास इस पर श्वेत तथा पीले रंग के पुष्प लगते हैं जो अपने चारो ओर के वातावरण को सुगंधित कर देते हैं।
जारी किया गया है डाक टिकट: पारिजात वृक्ष के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए भारत सरकार ने इसे संरक्षित घोषित कर दिया है। भारत सरकार ने इसपर एक डाक टिकट भी जारी किया है।